54 साल की हो चुके सलमान खान ने बतौर हीरो हिंदी सिनेमा को 30 साल दिए है। और अपने पिता को वह हर कामयाबी का श्रेय देते हैं। और सबसे मुश्किल काम इंटरव्यू देना मानते हैं उनकी अगली फिल्म में राधे यू आर मोस्ट वांटेड भाई के सेट पर पता चला उन्हें इंटरव्यू देने में कठिनाई होती है। और उनसे पूछे गए कुछ कठिन सवाल जवाब??
1: आपने दबंग शब्दों को एक नए मायने दिए और अब मोस्ट वांटेड भाई! भाई मोस्ट वांटेड कैसे हो सकता है?
मैं हूं मोस्ट वांटेड भाई। क्या है कि पहले भाई को भाई गिरी में लिया जाता था। उसके पहले भाई बहुत ही इज्जत देने वाला शब्द रहा है। लेकिन एकाएक अभिप्राय काफी नकारात्मक होता गया है। इतना सम्मान देने वाले शब्द ने अपने मायने को दिए। बस उसी शब्द को फिर से इज्जत बख्शनी है। उसे एक सकारात्मक ध्वनि प्रदान करनी है। दबंग फृचांइजी से दबंग शब्द का संकेताथृ ठीक हुआ, राधे से भाई शब्द का करना है।
2: सिनेमा में निर्देशक के हिसाब से चलने वाले अभिनेता तो बहुत हुए हैं। अभिनेता के हिसाब से निर्देशक का चलन शुरू कर दिया??
क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि लेखन की है।हमारे पिता सलीम खान आज भी देश के सबसे अच्छे लेखक हैं। सिनेमा में हमने बचपन से सीखा है। वह जब कहानियां सुनाते थे तो हम वहां बैठा करते थे। हमने यह समझा है कि कहानी में क्या सही है, क्या गलत है। हमने उसकी फिल्में देखी हैं और समझा है की पारिवारिक फिल्में क्या होती हैं। उसका बैलेंस की बलात्कारी कभी नहीं रहा। आप गब्बर सिंह को देख लो। अभी छोरा की उधर नहीं है। साफ-सुथरी फिल्म बनाने का सबक हमने उन्हीं से सीखा।
3: सलीम और जावेद के दौर से अब तक एक्शन कितना बदला है हिंदी सिनेमा में?
हम अब भी पर्दे पर 10 से 15 लोगों को मारते हैं। हां एक्शन की तकनीक बदली है। हम चीजें आ गई हैं, लेकिन चोट अभी भी लगती हो। शूटिंग करने के बाद शरीर दर्द करता है। चोट लगे घुटने दुखते हैं। हिंदी सिनेमा का हर हीरो सुपर हीरो है। बॉलीवुड में spider-man, बैटमैन, लेकिन हमारे फ्रेंड को अब भी हमारा एक्शन अच्छा लगता है । मैं सिनेमा हकीकत के करीब ले जाने की कोशिश करती है, तो 10 से 15 लोगों को मारने के लिए फिर भी कोई सुपर पावर वाला हीरो चाहिए होता है उनको। यहां हम भी काफी हैं।
3: टेलीविजन, फिल्म और भी ना जाने कितना काम करते हैं हम आपको देखते हैं, सबसे मुश्किल क्या लगता है?
सबसे मुश्किल काम है इंटरव्यू देना। आपके लिए नहीं कह रहा। लेकिन हम कुछ बोले, सुनने वालों कुछ समझी, उनका संपादन समझाए कि इसको इस तरह से नहीं उस तरह से लिखो, ताकि सलमान ने जो कहा उसका मतलब कुछ और निकले। किसी तरह कोई विवाद खड़ा हो जाए। तो यह बहुत मुश्किल लगता है। मेरा यही कहना है कि हमें बातों के मायने अलग नहीं देखना चाहिए। जिस उद्देश्य से जो बात कही गई, उसे उसी हिसाब से लिखा जाना चाहिए।
5: 2 साल की उम्र में आपकी चुस्ती और फुर्ती अनुकरणीय है। क्या जरूरी है इसके लिए?
लोग समझते हैं कि जिम जाने से इंसान फिट रहता है। जिम तो हर कोई जाता है, लेकिन जिम के बाहर आपका जीवन कैसा है, वह बहुत मायने रखता है। आपके विचारों का सेहत पर सीधा असर होता है। आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही आपका स्वास्थ्य रहता है।
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