Navratri 2020- शारदीय नवरात्रि 2020 पूजा, भोज, नियम

Navratri 2020- शारदीय नवरात्रि 2020 पूजा, भोज, नियम


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शारदीय  नवरात्र में कन्या भोजन से जुड़ी जरूरी बातें 

नवरात्र में कन्याओं को भोजन करने से मां प्रसन्न होती हैं। इसलिए मां के भक्त श्रद्धापूर्वक कुंवारी कन्याओं को अपने घर निमंत्रण देकर बुलाते हैं और उन्हें हलवा पूरी, खीर, मिठाई खिलाते हैं। कन्याओं को भोजन कराने के दौरान कुछ बातों का अवश्य ख्याल रखना चाहिए। तभी आपको उचित फल प्राप्त होगा। आइए जानें कौन सी हैं वो बातें जिनका ख्याल रखा जाना जरूरी है।


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किस दिन करें कन्या पूजन?

वैसे तो कई लोग सप्‍तमी से कन्‍या पूजन शुरू कर देते हैं लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं वह तिथि के अनुसार नवमी और दशमी को कन्‍या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं. शास्‍त्रों के अनुसार कन्‍या पूजन के लिए दुर्गाष्‍टमी के दिन को सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण और शुभ माना गया है.


navratri 2020
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क्यों और कैसे किया जाता है कन्‍या पूजन?

नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है. नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है. अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं.

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भोजन के लिए कम से कम दो कन्याएं

शास्त्रों में कहा गया है कि नौ कन्याओं को भोजन कराना उत्तम होता है। अगर नौ से अधिक कन्याएं उपलब्ध हों तो इसे सौभाग्य मानकर सहर्ष भोजन कराएं। जो लोग नौ कन्याओं को भोजन नहीं करा सकते हैं उन्हें कम से कम दो कन्याओं को जरूर भोजन करना चाहिए। एक से अधिक जितनी कन्या होगी कन्या भोजन का फल उतना शुभ माना जाता है। जो लोग एक कन्या को भोजन करवाते हैं उन्हें संपूर्ण नवरात्र के दौरान हर दिन एक कन्या को भोजन कराना चाहिए और अंतिम दिन वस्त्र, धन, फल, मिठाई देकर माता से आशीर्वाद लेना चाहिए। 


navratri 2020
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आयु अनुसार कन्या रूप का पूजन 

दुर्गा शप्तशती में कन्या भोजन के लिए दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन करने की बात कही गयी है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार दो वर्ष की कन्या कुमारी होती, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा होती है। आप जिस उम्र की कन्या को भोजन करावाते हैं उससे सम्बन्धित देवी तक कन्या के माध्यम से उनका अंश पहुंच जाता है।

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  1. - नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है.
  2. - दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
  3. - चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.
  4. - छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
  5. - आठ वर्ष की कन्या शाम्‍भवी कहलाती है. इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है. इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं.
  6. - दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है.

navratri colours of 2020

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सिर्फ 9 दिन ही नहीं है जीवन भर करें इनका सम्‍मान 

नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है. पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं. बहूत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपनाम किया जाता है. आज भी भारत में बहूत सारे गांवों में कन्या के जन्म पर दुःख मनाया जाता है. ऐसा क्यों? क्या आप ऐसा करके देवी मां के इन रूपों का अपमान नहीं कर रहे हैं. कन्याओं और महिलाओं के प्रति हमें अपनी सोच बदलनी पड़ेगी. देवी तुल्य कन्‍याओं का सम्मान करें. इनका आदर करना ईश्‍वर की पूजा करने जितना पुण्‍य देता है. शास्‍त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्‍मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते हैं.

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navratri colours of 2020

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किसी भी कन्या का निरादर न करें 

भोजन कराने के साथ यह आवश्यक है कि आपके जरिए किसी भी कन्या का निरादर न हो। दस वर्ष तक की कन्या में मां का अंश मौजूद रहता और वह मां की तरह ही शुद्ध और निश्छल होती हैं। जो भक्त श्रद्धा भाव से कन्याओं में उनका अंश मानकर भोजन करवाता है उस भक्त पर सदा मां अनुकम्पा बनी रहती है। जो व्यक्ति कन्याओं का निरादर करते हैं उसके घर वे कभी नहीं जाती हैं और वह व्यक्ति मां के क्रोध का भागी बनता है। इसलिए कन्याओं को जात-पाँत का भेद भाव किये बिना भोजन करवाना चाहिए।


navratri colours of 2020

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कन्या पूजन की विधि

  1. - कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है. 
  2. - मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है. 
  3. - गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं.
  4. - अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए.
  5. - उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए. 
  6. - फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. 
  7. - भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें.


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सब प्रेम से बोलो दुर्गा मैया की जय


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